आज सुबह उठकर एक किताब लिख रहा हूं, लगता है जैसे खुद के ही ख्वाब लिख रहा हूं। अलसाई सुबह को उठकर ये बात सोचता हूं, कि जाना नहीं जहां क्यों उस राह चल रहा हूं। #मंजिलों से दूर