वो ना जाने कब से मेरे दिल में रहा है, ये सिलसिला वर्षों पुराना रहा है, मोहब्बतें तो दरमियान किसी पार तक सीमित ना थी, पर उसकी बेवफ़ाई का सिलसिला भी बेहद रहा है, ये तोमहमतें, ये इल्जाम, ये जख्म, ये दूरियाँ, ये तडप, ये गम, ये उल्फत, ये सितम, ये बरजोरी, ये अर्दन, तू बता मुझे कौन-सा अब जख्म देना बाकी रहा है, अब कैसी वापसी, कैसा इकरार, कैसी तमन्ना, कैसा इश्क, कैसा फसाना, कैसा पछताना, तेरी कैद में आने से अब दिल घबरा रहा है, तुझे तो खुला आसमान चाहिए था, विराट अब कोई बंधन नहीं, तेरी कैद से ये पंछी अब आजाद हो रहा है...!!! विराट तोमर ©Virat Tomar #तकदीर #वक़्त #बंजारा #मंजर #soulmate