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रिश्तों में जो आशाएँ हो तो अच्छा, गर आशाऔं से रिश

 रिश्तों में जो आशाएँ हो तो अच्छा,
गर आशाऔं से रिश्तें बने तो रिश्ता कैसा, 
आशाऔं भरी रिश्तों में रिश्ता स्वयं ही आशातीत,
जड़-चेतन क्या इन रिश्तों में मतलबी रिश्तें कयी प्रकार,
रिश्तों में जो हो आशाएँ,
निंस्वार्थ भाव से रिश्तों में प्रेम का जिसने भी गाया गाना,
श्री सुख-सागर का जीवन में गुंथ दिया उसने ताना बाना, 
बदल दिया रिश्तों में आशाऔं का धरकर रूप नाना, 
रंग दिया हृदय को स्वर्ण-पात से जिसने सुधि-विहाना (विहान), 
रिश्तों में आशाएँ हो तो अच्छा,
गर आशाऔं से रिश्तें बने तो रिश्ता कैसा।

©सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
  #फक्कड़