बचपन का एक ख्वाब बेहद करीब है जनाब देता ही रहता आवाज जब चलती है सवारी बस हो,या हो रेलगाड़ी ड्राइवर पड़ता बीमार बनती स्थिति लाचार मैं आता था आगे उभर लालू का बैरी मैं सदर उन दिनों डकैत हमारे गाते,लालू चालीसा सारे मैं करता था व्यवस्था किसको पता है रस्ता मैं उड़ाऊंगा गाड़ी,तुम दिखाना एकता सारी ऐसे कर्म कर ख्वाब में एक बच्चा है रुबाब में स्वप्न का आदर्श वातावरण बनता कारक व्यक्तित्व का।। बचपन के कुछ ख़्वाब पड़े हैं आँखों में बचपन की कुछ साँसें पड़ी हैं साँसों में। #बचपनकाख़्वाब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #life #poetry