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घर में तैयार वास्तविक रूप को देखा ही नहीं बस अपनी

घर में तैयार वास्तविक रूप को देखा ही नहीं
बस अपनी सोच में जीती हूं
बुजदिल बन गई हूं छोटी सोच वालो के बीच रह कर
अब अपने आप से सिकायते करती हु
काफी हद तक दुनियां बदल गई है
में एक दीवार बदलते बदलते टूट गई हूं
बेवकूफ कहने वाले पे हंसते हंसते
अब मैं खुद पर हंसने लगी हूं
मुझे कफ़न भी अमन से भरा चाहिए था
बड़े शोर में आरजू के साथ दफ़न हो रही हूं
किसे बताऊं अपनी उलझने
फरेब से भरी दुनियां में
कलम भी सांस तोड़ रही है
में  क्या चीज़ हूं फिर
रास्ता ढूंढते ढूंढते आज ख़ुद को
खत्म कर दिया
आंखो से ज्यादा उम्मीद क्या रखी जाये
अपने ही जब हैसीयत बताते हों
हम अपनी ऐब से कैसे अच्छाइयां चुनते
हमे पग पग पर अपनी बिबस्ता से जोड़ा गया
मेरा हर लफ्ज़, मुशायरा और लम्हा
बहुत वक्फा सा है
जहा और कुछ नहीं है सिवा धुआं के
में इसी धुएं में खुशियां पल पल खोज रही हूं

©Khushbu mavar #OneSeason #i #L♥️ve #object #na  Sam Sarwara falak khan chisti  Nitin Sharma HIMMAT SINGH Rajput ANIL KUMAR
घर में तैयार वास्तविक रूप को देखा ही नहीं
बस अपनी सोच में जीती हूं
बुजदिल बन गई हूं छोटी सोच वालो के बीच रह कर
अब अपने आप से सिकायते करती हु
काफी हद तक दुनियां बदल गई है
में एक दीवार बदलते बदलते टूट गई हूं
बेवकूफ कहने वाले पे हंसते हंसते
अब मैं खुद पर हंसने लगी हूं
मुझे कफ़न भी अमन से भरा चाहिए था
बड़े शोर में आरजू के साथ दफ़न हो रही हूं
किसे बताऊं अपनी उलझने
फरेब से भरी दुनियां में
कलम भी सांस तोड़ रही है
में  क्या चीज़ हूं फिर
रास्ता ढूंढते ढूंढते आज ख़ुद को
खत्म कर दिया
आंखो से ज्यादा उम्मीद क्या रखी जाये
अपने ही जब हैसीयत बताते हों
हम अपनी ऐब से कैसे अच्छाइयां चुनते
हमे पग पग पर अपनी बिबस्ता से जोड़ा गया
मेरा हर लफ्ज़, मुशायरा और लम्हा
बहुत वक्फा सा है
जहा और कुछ नहीं है सिवा धुआं के
में इसी धुएं में खुशियां पल पल खोज रही हूं

©Khushbu mavar #OneSeason #i #L♥️ve #object #na  Sam Sarwara falak khan chisti  Nitin Sharma HIMMAT SINGH Rajput ANIL KUMAR
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