देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुये, दूर तक निगाह में है मटर छिले हुये ... ये मिला है आपकी मुहब्बतों में , रोज महंगाई झेलने के हौसले हुये ..…. दोनों ही लूटते है चाहे केन्द्र या राज्य, पहले ही कहा था "है सब मिले हुये"....... जो वादे वफ़ा थे ,सब हवा हो गये , अच्छे दिन के वादे ,हवाई किले हुये ..... विपक्ष भी यूं बैठा है ज्यों कह रहा हो, क्या कहूं कि शर्म से है लब सिले हुये.... क्या चौपहिया वाला ,क्या दुपहिया चालक, महंगाई के भूकंप से है सब हिले हुये .... अभी पिछले साल की फीस भी ना चुकी , और खबर आई कि शुरू नये दाखिले हुये... पेट्रोल पंप पर रेट देख ख़्याल आया, "यार मोहित" बड़ा जंचता है तू पैदल चले हुये ....... ©Mohit singh Rajpoot #दलिले #महगांई #सरकार #वादे #standAlone