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आँखें खामोश लफ्जों के भी मैंने अनकहे किस्से सुन

आँखें
   खामोश लफ्जों के भी मैंने अनकहे किस्से सुने, 
           सैकड़ों की भीड में भी तेरे हर हिस्से सुने!
           
       तुम कहो या ना कहो, आँखें तुम्हारी बोलती है।।
       दिल में छिपे अच्छे -बुरे के भेद सारे खोलती है।।
       

       आँखें कभी छिपती नहीं, अच्छी हो या हो बुरी
        आँखें सभी दिखती यहीं, हो लड़ी या हो तनी 
        
     मन में उठे भूचाल को लफ्जों के बिन ये बोलती है।।
     साम, दाम, दंड भेद सब कुछ ये आँखें खोलती हैं।। 
     
       तुम कहो या ना कहो, आँखें तुम्हारी बोलती है।। 
       तुम कहो या ना कहो, आँखें तुम्हारी बोलती है।।

©ShivaniPachauri
  Lines For eye's

Lines For eye's #Shayari

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