कौन कहता है राहें चुनते हैं मुसाफ़िर, राहें चुना करतीं हैं मुसाफ़िर, और ले जाती हैं उन मंजिलों की ओर, जहां मुसाफ़िर होते हैं काफ़िर, अनजान, बेबूझ और अपरिचित, इन मंजिलों के इश्क़ से वंचित, मंजिल पर भी रुकता नही फिर, मुसाफ़िर का सफ़र, मंजिल से एक होना है अब उसकी डगर, और फिर एक दिन मंजिल पर मिटकर, मुसाफ़िर बतायेगा वो नहीं था काफ़िर ।। #Life #Manjilen