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एक बार और उलझना है तुमसे एक बार और उलझना है तुमसे,

एक बार और उलझना है तुमसे एक बार और उलझना है तुमसे,
कभी नैनो के भंवर में,
कभी अधरों के पैमानों में,
कभी छू के गुजरे अनकहे एहसास में,
तेरे चाह के भी न बोले शब्दों में,
अल्हड़ सी अभिव्यक्ति में,
अनसुलझे प्रश्नों को सुलझना हैं तुमसे।
एक बार और उलझना हैं तुमसे।। एक बार और उलझना हैं तुमसे।
एक बार और उलझना है तुमसे एक बार और उलझना है तुमसे,
कभी नैनो के भंवर में,
कभी अधरों के पैमानों में,
कभी छू के गुजरे अनकहे एहसास में,
तेरे चाह के भी न बोले शब्दों में,
अल्हड़ सी अभिव्यक्ति में,
अनसुलझे प्रश्नों को सुलझना हैं तुमसे।
एक बार और उलझना हैं तुमसे।। एक बार और उलझना हैं तुमसे।
pragyaamrit3519

Pragya Amrit

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