मिलकर मिटाना हम सबको भेदभाव की दूरी है, आज भी आजाद भारत की यह इच्छा अधूरी है, न जाति ,न पात ,न छुआछूत न आपसी आघात, रहे स्नेहाभाव , सद्व्यवहार बस यही जरूरी है, एक एक हाथ मिल, एकता का संदेश फैलाओ, अखण्डता ही पहचान है, ये न कोई मजबूरी है, न रख मन मे द्वेष, रोष न कोई क्रोध की भावना, रख धैर्य मनोबल यही वास्तविक श्रद्धा सबूरी है, जगाइये अंतश्चेतना की सुसुप्त हुई अन्तरात्मा को, "निशा" सात्विक जगत की यह मोक्ष कामना पूरी है। इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी" गजल प्रतियोगिता -02 साहित्य कक्ष 2.0 आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में