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ख़्वाब मैं बेखबर हु इस दुनिया से, ले चल मुझे इन अ

ख़्वाब

मैं बेखबर हु इस दुनिया से,
ले चल मुझे इन अंधेरे रास्तों पे,
खोज लूंगी मैं अपनी राह को,
मैं एक ख्वाब हूं।
किसी की जुस्तजू में खोया वो खत नहीं, 
जो मुझ तक न पहुंचे। 

(शीर्षक पढ़े) अब मैं सिर्फ सोचती हूं, के क्या लिखूं? कोशिश करती हु के कुछ नई तस्वीरें बनाऊं पर मैं खुद को ढूंढने की कोशिश नहीं करती, क्योंकि मैं खुश हूं, हालाकि मैं इस खुशी से डरती हूं क्योंकि मेरी बोली मेरे अल्फाज भूल गयी है। वो एहसास जो मुझे मेरे वजूद से मिलाता था वो खो गया है, लेकिन अब मैं रंगो की पोटली खोल उनके सामने बैठ जाती हूं, इस उम्मीद में के आज कोई नई कहानी की शुरुआत हो जाए, लैला मजनू एक दूसरे से मिल जाए और हम इश्क कर बैठे अपनी मोहब्बत से। 
मेरी मोहब्बत मुझसे बहुत सवाल करती है, क्या मैं उसे कभी भूल जाऊंगी? क्योंकि वो नहीं चाहती, कि मैं उसे भूलूं या फिर शायद वो ये नहीं चाहती कि मैं उसे उसके होने के एहसास से फारिग करा दूं क्योंकि वो मेरे साथ खुश है। 
उसे रंगो से खास मतलब भी नहीं, वो अपनी स्याह सी जिंदगी में मुझे घर बना बैठी है, लेकिन मेरा दम न घुटे तो वो हर रोज खिड़कियां खोल देती है। वैसे तो मुझे भी ज्यादा रोशनी की ख्वाइश नहीं होती, लेकिन मैं पूरी रात उस एक जुगनू का इंतजार करती हूं और उसके खातिर जागती हूं, कि उसे मैं ढूंढलू  या वो मुझे। मैं कभी दरवाजे के पीछे तो कभी आंखे नीचे कर छुप जाती और फिर सोचती हूं_ क्या वो भी मुझे, वैसे ही याद करता है जैसे मैं अपनी उस मुस्काहट में_ जो मेरी खामोशी की जुबान है। 
मेरे लफ्ज़ ठीक उस रात की तरह बहुत दूर जा चुके हैं और मैं जिंदगी के पास, पर मैं खुश हूं के मैं अपने नाम के करीब हूं। 
बादलों को देखती हु तो मैं ठीक उस औरत की तरह होती हू, जो तस्वीर है पर एक आईना भी, मुझे याद है मेरी मां ने अपना जिक्र किया था, पर तब मैं न समझ थी। 
फिर तुम अपने घर का पता पूछते हो और मैं उस दूरी को मापती हूं जब मेरे आंसू टूट के बिखर जाएंगे और मैं रंगसारी हो जाऊंगी। तुमने बहुत देर कर दी, ये मैं नहीं कहूंगी क्योंकि शायद फासला कम था पर तुम्हारी जुबान अभी न समझ थी। और मैं तुम्हें बता दूं, के आखिर में, मैं एक ख्वाब हूं जो बिखर के भी अपने होने का एहसास नहीं भूलती।

#blabbering #yqbaba_yqdidi #yqbaba #homelesspoet  #home
ख़्वाब

मैं बेखबर हु इस दुनिया से,
ले चल मुझे इन अंधेरे रास्तों पे,
खोज लूंगी मैं अपनी राह को,
मैं एक ख्वाब हूं।
किसी की जुस्तजू में खोया वो खत नहीं, 
जो मुझ तक न पहुंचे। 

(शीर्षक पढ़े) अब मैं सिर्फ सोचती हूं, के क्या लिखूं? कोशिश करती हु के कुछ नई तस्वीरें बनाऊं पर मैं खुद को ढूंढने की कोशिश नहीं करती, क्योंकि मैं खुश हूं, हालाकि मैं इस खुशी से डरती हूं क्योंकि मेरी बोली मेरे अल्फाज भूल गयी है। वो एहसास जो मुझे मेरे वजूद से मिलाता था वो खो गया है, लेकिन अब मैं रंगो की पोटली खोल उनके सामने बैठ जाती हूं, इस उम्मीद में के आज कोई नई कहानी की शुरुआत हो जाए, लैला मजनू एक दूसरे से मिल जाए और हम इश्क कर बैठे अपनी मोहब्बत से। 
मेरी मोहब्बत मुझसे बहुत सवाल करती है, क्या मैं उसे कभी भूल जाऊंगी? क्योंकि वो नहीं चाहती, कि मैं उसे भूलूं या फिर शायद वो ये नहीं चाहती कि मैं उसे उसके होने के एहसास से फारिग करा दूं क्योंकि वो मेरे साथ खुश है। 
उसे रंगो से खास मतलब भी नहीं, वो अपनी स्याह सी जिंदगी में मुझे घर बना बैठी है, लेकिन मेरा दम न घुटे तो वो हर रोज खिड़कियां खोल देती है। वैसे तो मुझे भी ज्यादा रोशनी की ख्वाइश नहीं होती, लेकिन मैं पूरी रात उस एक जुगनू का इंतजार करती हूं और उसके खातिर जागती हूं, कि उसे मैं ढूंढलू  या वो मुझे। मैं कभी दरवाजे के पीछे तो कभी आंखे नीचे कर छुप जाती और फिर सोचती हूं_ क्या वो भी मुझे, वैसे ही याद करता है जैसे मैं अपनी उस मुस्काहट में_ जो मेरी खामोशी की जुबान है। 
मेरे लफ्ज़ ठीक उस रात की तरह बहुत दूर जा चुके हैं और मैं जिंदगी के पास, पर मैं खुश हूं के मैं अपने नाम के करीब हूं। 
बादलों को देखती हु तो मैं ठीक उस औरत की तरह होती हू, जो तस्वीर है पर एक आईना भी, मुझे याद है मेरी मां ने अपना जिक्र किया था, पर तब मैं न समझ थी। 
फिर तुम अपने घर का पता पूछते हो और मैं उस दूरी को मापती हूं जब मेरे आंसू टूट के बिखर जाएंगे और मैं रंगसारी हो जाऊंगी। तुमने बहुत देर कर दी, ये मैं नहीं कहूंगी क्योंकि शायद फासला कम था पर तुम्हारी जुबान अभी न समझ थी। और मैं तुम्हें बता दूं, के आखिर में, मैं एक ख्वाब हूं जो बिखर के भी अपने होने का एहसास नहीं भूलती।

#blabbering #yqbaba_yqdidi #yqbaba #homelesspoet  #home
meeraali9245

Meera Ali

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