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हमेशा तो नहीं होगा, काँटों जैसा जीवन..! कभी हो खिल

हमेशा तो नहीं होगा,
काँटों जैसा जीवन..!
कभी हो खिलेगा,
ग़ुलाबों का उपवन..!
मिल जायेगा मिटटी में,
मिटटी का ये शरीर पर..!
कर्मों का रहेगा सदा,
असीमित यूँ धन..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #GuzartiZindagi #upwan