بارشوں کا یہ موسم, **बारिश** *बारिश* की कुछ बूंदे मेरी घर की *खिड़की* पर *दस्तक* दे रही थीं मैने खोलकर *खिड़की* को पूछा तो-वो कह रही थी कि *तुझमें और मुझमें* कोई *भेद* नहीं है.. तू भी *अकेला* और मैं भी.. पर हम *अकेले कुछ नही कर सकते* इसलिए हमे *सबके साथ मिलना* पड़ता हैं इसके बाद हम *दुनिया में तबाही* ला सकते हैं। #*Alkesh(Bhopal)*# ©Alkesh Lodhi #barish #barish #Yadein