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बेटी मेरे घर में भी " धान " की फसल उग आई है लक्

बेटी   मेरे घर में भी " धान " की फसल उग आई है 
लक्ष्मी के रूप में बेटियाँ घर आई है 

मेरा फर्ज है कि उनकी देखभाल अच्छे से करूँ
फसल किसी और कि है
मेरे हिस्से में तो सिर्फ मेहनत ही आयी है

और कहता हूं कि.........!! 

की एक दिन ले लेजाएँगे साहूकार हिसाब करके
उनके जाने का दुःख नही ख़ुशी होगी मुझे,

मेरी किसानी की यही तो मेरी सच्ची कमाई है

©निःशब्द अमित शर्मा #Poetry Betiyan
बेटी   मेरे घर में भी " धान " की फसल उग आई है 
लक्ष्मी के रूप में बेटियाँ घर आई है 

मेरा फर्ज है कि उनकी देखभाल अच्छे से करूँ
फसल किसी और कि है
मेरे हिस्से में तो सिर्फ मेहनत ही आयी है

और कहता हूं कि.........!! 

की एक दिन ले लेजाएँगे साहूकार हिसाब करके
उनके जाने का दुःख नही ख़ुशी होगी मुझे,

मेरी किसानी की यही तो मेरी सच्ची कमाई है

©निःशब्द अमित शर्मा #Poetry Betiyan