उर्वरा ज़मीन है ........मन की क्या उगाना है ; थोड़ा गौर फरमाइए (रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) उर्वरा ज़मीन है ........मन की क्या उगाना है ; थोड़ा गौर फरमाइए जो ध्यान भटकता रहेगा जंगल ही उग आएगा..... पछताइए प्यार हो, विचार हो कि संस्कार हो छानने की कड़ी प्रक्रिया अपनाइए