दुनियां भूल गया था मैं, तुमसे बात करके । बहूत खुश था मैं ,सिर्फ तुमसे प्यार करके । चला गया अब वो दौर जमाना़ शायद अब, अब तो सारी रातें कट रही है,रो रो करके । छुपा रहा हूं मै, दिये दर्द के तोहफे इस कद्र, दुनियां कि हर महफिल मे ,मुस्कुरा करके। भूल ही ना पा रहा हूं अब तक तुमको सनम़, मोहब्बत़ मै क्यों गये हो इस तरह बर्बाद करके। किसको सूनाये दरद़ दिल कि दास्तां यहां,सिद्दीकी" सबके दिल है जख्मी़, किसी से दिल लगा करके। कवि/शायऱ सुफियान"सिद्दिकी" अररिया बिहार। सबके दिल है जख्म़ी किसी से दिल लगा करके।