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नदी सा चल सरोवर सा रुक नहीं अपनी ख्वाहिशो को सीमित

नदी सा चल सरोवर सा रुक नहीं अपनी ख्वाहिशो को सीमित कर नहीं अभी ख्वाहिशो के परिंदो की उड़ान बाकि हैं क्या फ़िक्र तुझे अभी पूरा जहान बाकि है
तेरे सब्र का इम्तहान बहुत से लेगें तेरी खामोशियों को तेरी कमजोरी समझेगें अभी खामोशियों के पीछे की ज्वाला बाकि हैं क्या फ़िक्र तुझे अभी पूरा जहान बाकि हैं
बिन मेहनत मिली सफलता पीतल हैं। अंदर से ज्वाला बाहर से शीतल हैं। अभी सोने को कुन्दन बनना बाकि हैं क्या फ़िक्र तुझे अभी पूरा जहान बाकि हैं
जो सोच लिया तूने समझो पा लिया सफलता की ओर कदम तूने बढ़ा लिया अभी सफलता का शीर्ष झुकना बाकि हैं क्या फ़िक्र तुझे अभी पूरा जहान बाकि हैं

©Seema
  #Likho #6April month
seema7214111558339

Seema

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#Likho #6April month #Poetry

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