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मिलती थी मुझे वो कही पल पल के फर्क से, फिर रफ्ता

मिलती थी मुझे वो कही पल पल के फर्क से,

फिर रफ्ता रफ्ता फर्क ये सालों मे आ गया,

फिर यूं हुआ की आँख से आंसू निकल पड़े,

चेहरा कभी जो उसका ख्यालों में आ गया,

सिर्फ________________________तुम💘
मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, मिलती थी मुझे वो कही पल पल के फर्क से,
फिर रफ्ता रफ्ता फर्क ये सालों मे आ गया।
.
फिर यूं हुआ की आँख से आंसू निकल पड़े,
चेहरा कभी जो उसका ख्यालों में आ गया।
मिलती थी मुझे वो कही पल पल के फर्क से,

फिर रफ्ता रफ्ता फर्क ये सालों मे आ गया,

फिर यूं हुआ की आँख से आंसू निकल पड़े,

चेहरा कभी जो उसका ख्यालों में आ गया,

सिर्फ________________________तुम💘
मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, मिलती थी मुझे वो कही पल पल के फर्क से,
फिर रफ्ता रफ्ता फर्क ये सालों मे आ गया।
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फिर यूं हुआ की आँख से आंसू निकल पड़े,
चेहरा कभी जो उसका ख्यालों में आ गया।