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में जब भी हुआ तन्हा मुझे, मिला सीखने अंबर से,वो भी

में जब भी हुआ तन्हा मुझे, मिला
सीखने अंबर से,वो भी तन्हा दिन
गुजरता, झुलसते सूरज के अंगारों से 
रात बीत ती उसकी सुहानी चांद, 
तारों की छैया में,
में जब भी तन्हा हुआ, मिली सीख मुझे
चट्टानों से,जो अडिग रहे हर हाल में,
देते संदेश दृढ़ता का, स्थिरता मन में
रखो, तो जीवन सुखमय हो जाएगा
गम के बाद, आयेगा खुशियों का
मौसम नियम है, ये प्रकृति का

©पथिक
  #Sitaare से सीखा

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