भारत का अभिमान है हिन्दी ..............…......................... भारत का अभिमान है हिन्दी शारदे की है यह संतान है हिन्दी संस्कृत की है यह सुता गंभीरता की हर पहचान है हिंदी मात्र भाषा ही नहीं, वरन् मातृ भाषा है मेरी नव सृजन कर बढ़ती जाऊं,यही अभिलाषा है मेरी मनन मन मंथन करूं,तो रत्न कोटिक गोद में सिंधु की ये सभ्यता, है भविष्य की हर आशा मेरी क्या कहूं, क्या ना कहूं, शब्दों से मै अब यहां हिन्दी ही हर बोल मेरी, और मेरी प्रान है हिन्दी हर जन - जन की यह शान है हिन्दी मां भारती की यह सम्मान है हिन्दी हर अंधेरों को दूर करती, मेरी रोशन दान है हिंदी कंठ से निकलती मां वीणा की वरदान है हिंदी चहुं दिशी विश्व में ओज प्रतिभा जो बिखेरे वैसे ही यह हर विद्वता की खान है हिन्दी प्रकृति सा सौंदर्य ले, अपनो की यह मान है हिन्दी नदियों की कल - कल में झंकृत हर लहर की गान है हिन्दी हिन्दी की ही होती रहे ,सदियों तक बस प्रसंशा स्नेह की बन कर के देवी,हर हृदय की यह गुणगान है हिन्दी ।। अंजली श्रीवास्तव