जो कुछ भी बचा है मुझमें, फ़ना हो जाए! ग़र सफ़र में उनसे कहीं सामना हो जाए! लाख उजाले क्यों न करे वो आफ़ताब; ग़र वो दिख जाएं तो अंधेरा घना जाए! #घना_अंधेरा