तुम लौट आना होंठों पर गुलाबी धूप सजा आंखों में हल्की बारिश लिए। ग़म की चादर न ओढ़ , अहसासों की छांव लिए। जहां हम गुजार सके , दो पल नज़रों से गुफ्तगू कर , होंठों को खामोश किए। तुम लौट आना जब ये आसमां जमीं का बदन चूमेगा किसी तनाव भरी शाम! और मेरी निगाहें तुमको ताकने लगे। उस रोज राहों के पत्थरों से बच बचा के इश्क़ वाली सुकून की रात लिए। तुम लौट आना। iShQ ©बेजुबान शायर shivkumar #बेजुबानशायर #nojoto #हिन्दीकविता #कविता #कविता95