"पुलवामा के वीर" वो दिन था काला, वो घड़ी थी भारी, शहीद हुए जब भारत के सपूत हमारे। धरती भी रोई, आसमां भी थर्राया, जब वीर जवानों का लहू बहाया। मानवता का गला घोंट कर , कायर समान करा व्यवहार। आज ही का था वो दिन, जब पीठ पीछे करा था आतंकियों ने प्रहार। तिरंगे में लिपटी थीं वीरों की काया, हर आँख में था दुःख का सागर समाया। माँ की ममता बिलख रही थी, पत्नी की आँखें सिसक रही थी। बच्चे पिता के प्रेम को तरस रहे थे, पापा की आँखों से आँसू बरस रहे थे। गूंज उठा था पुलवामा का हिस्सा और पूरे भारत में फैला था यह किस्सा ।। ©Ankit yadav #IndianArmy