लोकडाउन और बच्चे सुना कोरोना वायरस का नाम,थी यह महामारी सब अनजान, लक्षण भी समझ न आये,इसकी सावधानी से थे सब परेशान, बढ़ता देख इसका प्रकोप,लगा लोकडाउन मानो हो वनवास, मास्क,बार बार हाथ धोना व बना दूरी हो गए सब एकांतवास, अरसे बाद देखा था वो सुनहली धूप की चादर व किया एहसास, दिन से सप्ताह बीते,फिर मास,बच्चे बूढ़े किसी को न आया रास, दूर दूर तक सब सुनसान,पहले वाली जिंदगी थी अच्छी व आसान, सोचा छुट्टियां होगी तो सोयेंगे जी भर कर,और अब भर गए अरमान, वो खेल कूद,वो भागमभाग, कैद कर दिया जब से मन भी है उदास, मां समझाये,दादी समझाये ,मन न माने,स्कूल जाए हम फिर काश! महीने दर महीने स्कूल खुलने की न आई खबर,की टूटने लगी आस, पूछते रोज कब खुलेग स्कूल,न मिला कोई जवाब, मन हुआ निराश, नये जमाने की नई पढ़ाई,ऑनलाइन क्लास ज़रा भी मन को न भाई हैं, न दिनचर्या ठीक,न शारिरिक हालात,मोबाइल में देख आंखे सूज आई हैं। Competition @ Maayush Kalam #lockdown #covid19 #competition_by_maayush_kalam