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वो आँगन में फैला उजाला है, या मेरे गुस्से पे लगा त

वो आँगन में फैला उजाला है, या मेरे गुस्से पे लगा ताला है !
वो पहाड़ की चोटी पर सूरज की किरण है,
वो जिंदगी सही जीने का आचरण है,
है वो ताकत जो छोटे से घर को महल कर दे,
वो काफ़िया जो किसी ग़ज़ल को मुक्कम्मल कर दे !! #shailesh_lodha
वो आँगन में फैला उजाला है, या मेरे गुस्से पे लगा ताला है !
वो पहाड़ की चोटी पर सूरज की किरण है,
वो जिंदगी सही जीने का आचरण है,
है वो ताकत जो छोटे से घर को महल कर दे,
वो काफ़िया जो किसी ग़ज़ल को मुक्कम्मल कर दे !! #shailesh_lodha