मैं शख़्स, न रौब रुतबा और न अहं गरूर का हूँ! पर किसी का अपना नहीं मैं, सबके लिए दूर का हूँ! उपेक्षा इसलिए भी किया करते हैं कुछ लोग मेरी; कि यारों बेटा मैं किसी कृषक मजदूर का हूँ! #किसान_पुत्र #मज़दूर