रिश्तों की बुनाई मे, साल गुज़र जाते हैं। जवाब नहीं मिलते, सवाल गुज़र जाते हैं। सदियाँ गुज़र जाती हैं उन्हें , मनाते-मनाते, ग़मे-फुरक़त मे, जाहो-जलाल, गुज़र जाते हैं। ये खेल नहीं आसां, कहते हैं जिसे उल्फत, इस आग़ के दरिया मे, डूब के जाते हैं। एक ख़ूबसूरत #collab Rest Zone की ओर से। #रिश्तोंकीबुनाई #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi