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फागुन मास अलबेला हरेक के सर चढ़कर बोला हर जवान मतव

फागुन मास अलबेला
हरेक के सर चढ़कर बोला
हर जवान मतवाला
हर गोरी गोकुल बाला। 

देखो मौसम निर्जला फिर
भी हर पेड़ हरियाली छाई
गीतों में श्रृंगार रस की
अब चारों ओर है भरमार आई। 

चारों ओर होली रंग
संगीत में बांसुरी और चंग
नाचे पुरुष पहन लिबास जनाना
यह महिना है मसखरी का खजाना। 

कोई पीये या ना पीये
दिखाते खुद को मदहोश दीवाना
वृद्ध भी भूलकर उम्र 
गाते हैं प्रेम फ़साना।‌।

©Mohan Sardarshahari
  फागुन

फागुन #ज़िन्दगी

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