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ख़ुशियों की तिथि - - - - - - - - - - - - रुक जाना म

ख़ुशियों की तिथि
- - - - - - - - - - - -
रुक जाना मेरे जीवन का तुम
एक अटूट हिस्सा बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
इस जीवन में है रहती सदा 
कई प्रकार की उथल पुथल।
तुम आती तो हो पल भर को
फिर स्थिति जाती है बदल।।
तव पदचाप की ध्वनि को उत्सुक
रहते हैं सदा ये कर्णपटल।
तुम आकर बन जाओ जीवन की
पतझड़ में ऋतुराज प्रबल।।
तुम बिन सूखी मन की धरा पर
बरसो मधुर मेघ बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
भावनाओं की लहरों में बहा 
पर ढूंढ न सका तुम्हारा तट।
जिस मन्दिर की तुम देवी हो
न जाने खुलें कब उसके पट।।
प्रसन्नता से हीन परिस्थिति
न बन जाए कहीं विकट।
पहुँच चुकी तुम दूर बहुत ही
आ भी जाओ अब तो निकट।।
उदासीन मुखमण्डल पर तुम
आना एक मुस्कान बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
रुक जाना मेरे जीवन का तुम
एक अटूट हिस्सा बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
 #happy #happiness #खुशी  #खुशियाँ  #प्रसन्नता  #thoughts #imagination 

ख़ुशियों की तिथि
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रुक जाना मेरे जीवन का तुम
एक अटूट हिस्सा बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
ख़ुशियों की तिथि
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रुक जाना मेरे जीवन का तुम
एक अटूट हिस्सा बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
इस जीवन में है रहती सदा 
कई प्रकार की उथल पुथल।
तुम आती तो हो पल भर को
फिर स्थिति जाती है बदल।।
तव पदचाप की ध्वनि को उत्सुक
रहते हैं सदा ये कर्णपटल।
तुम आकर बन जाओ जीवन की
पतझड़ में ऋतुराज प्रबल।।
तुम बिन सूखी मन की धरा पर
बरसो मधुर मेघ बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
भावनाओं की लहरों में बहा 
पर ढूंढ न सका तुम्हारा तट।
जिस मन्दिर की तुम देवी हो
न जाने खुलें कब उसके पट।।
प्रसन्नता से हीन परिस्थिति
न बन जाए कहीं विकट।
पहुँच चुकी तुम दूर बहुत ही
आ भी जाओ अब तो निकट।।
उदासीन मुखमण्डल पर तुम
आना एक मुस्कान बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
रुक जाना मेरे जीवन का तुम
एक अटूट हिस्सा बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी
आना तुम अतिथि बन कर।।
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ख़ुशियों की तिथि
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रुक जाना मेरे जीवन का तुम
एक अटूट हिस्सा बनकर।
हे ख़ुशियों की तिथि जब भी