यूँ जो छोड़कर जाते है लोग दरख़्तों के साये में धूप छोड़ जाते है यादें उनकी सितम बड़ा ढाती है आंख ए चश्म से छाती भर आती है मासूमियत दिखाते है जाते हुए उनके लफ़्ज़ उनका लहजा समझा देते है इस कदर ना जाने कौनसे घाव पे मरहम लगाते है भूल जाना मुझे इतना ही वो कह पाते है *दरख़्तों - पेड़ों साये #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #sadquotes #saaye #hurt #pain #rekhta