पत्तों की छांव में इक रोज मैं भी गाऊंगा जो बीत गया सावन इस बार उसे बार बार मनाऊंगा कोई शोक नहीं अब जीवन में कोई दर्द नहीं अब इस तन में हर मर्ज की दवा है मेरे पास हर दुखिया को देता जाऊंगा! ©ADiL KHaN (शहज़ादा) #LongRoad #shahzada