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उम्र गुजार दी मैंने इम्तिहान में, कुछ कमी तो थी शा

उम्र गुजार दी मैंने इम्तिहान में,
कुछ कमी तो थी शायद मेरे बयान में।
लिखता रहा ताउम्र फलसफा तमाम,
क्यूं पास नहीं करते, हो! किस गुमान में।।

दिल ही तो मांगा था दे दिया होता,
समझ नहीं आता, समझाऊं किस जुबान में।
रगों में मेरे वफा विरासती तो है,
जफा नहीं है मेरे पूरे खानदान में।।

इक बार दम भर के चले आओ पास मेरे,
फिर दिल ना लगेगा औरों की अमान में।
रातें कहां है कटती, नीदें बे-असर ही रहती,
जब चांद निकलता है पूरा, आसमान में।।

©S Talks with Shubham Kumar #sagarkinare हो ! किस गुमान में
उम्र गुजार दी मैंने इम्तिहान में,
कुछ कमी तो थी शायद मेरे बयान में।
लिखता रहा ताउम्र फलसफा तमाम,
क्यूं पास नहीं करते, हो! किस गुमान में।।

दिल ही तो मांगा था दे दिया होता,
समझ नहीं आता, समझाऊं किस जुबान में।
रगों में मेरे वफा विरासती तो है,
जफा नहीं है मेरे पूरे खानदान में।।

इक बार दम भर के चले आओ पास मेरे,
फिर दिल ना लगेगा औरों की अमान में।
रातें कहां है कटती, नीदें बे-असर ही रहती,
जब चांद निकलता है पूरा, आसमान में।।

©S Talks with Shubham Kumar #sagarkinare हो ! किस गुमान में
stalkswithshubha8047

SK Poetic

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#sagarkinare हो ! किस गुमान में #कविता