क्या दिन थे जब चढ़ी दिवानी मिली थी एक खूबसूरत फ़लानी सर से पाँव तक थी जाफ़रानी रोज़ कहती थी सुभाषितानि मैं ही करता था आनाकानी इश्क़ में डूबती जब उसकी जवानी ताने देती रहती थी फ़लानी मेरा काटा माँगे ना पानी हाय हाय तौबा मेरी जवानी किसे सुनाऊँ मैं अपनी कहानी ©Anushi Ka Pitara #लाचार #जवानी #adishakti