किसान देखो जग में आज किसान बहुत दुख पाते हैं गेहूँ चावल चना कमाते ओ्टते न्यारे न्यारे इतने पर भी बेचारे बाजरे की रोटी खाते हैं दालें बोते गन्ना बोते कपास उगाते न्यारे देखो इतने पर भी बेचारे कपड़ो को मारे फिरते हैं #किसान #wod #earth #लोकगीत From school days when a fren from village sung this...