.............कहना ज़रूर............. कभी जो आये मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर न करना वक्त का इंतज़ार न होना मगरूर । जब पिता का किया कुछ दिल को छू जाये तो जाकर गले उनके लगना ज़रूर। कभी जो आये मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर बनाये जब माँ कुछ तुम्हारे मन का कांपते हाथों को चूम लेना ज़रूर। कभी जो आये मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर जब अस्त व्यस्त होके बीबी भूल कर खुद को घर संवारती नज़र आये तो धीरे से उसके कानों में "बहुत खूबसूरत हो "कहना ज़रूर कभी जो आये मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर आये जूझ कर दुनिया से हमसफर जब भी सुकून भरे कुछ पल साथ गुजारना ज़रूर । कभी जो आये मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर बच्चों को लगा कर गले जब तब व्यस्त हूँ पर दूर नहीं इक पल भी ये बतलाना ज़रूर । कभी जो आये मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर जड़ें कितनी भी गहरी हों रिश्तों की सीने में पनपते रहने की खातिर वक्त वे वक्त इज़हार की बौछार करना ज़रूर कभी जो आये ....... नहीं भरोसा वक्त का साथ किसी का कब छूट जाये कोई अपना न जाने कब रूठ जाये तबादला हो जाये दिल या दुनिया से किसी का उससे पहले दिल की बात पहुंचाना ज़रूर । न करना वक्त का इंतज़ार न होना मगरूर कभी जो आये , मन में कोई बात उसे कहना ज़रूर । 😊🌸😊🌸😊🌸😊🌸😊