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कि, कभी तारों की ओढ़नी ओढ़े रात को निहार लूं। कभी

कि, कभी तारों की ओढ़नी ओढ़े रात को निहार लूं।

कभी शाम को उन पेड़ों पर

पंछियों के गप्प शप्प सुन लूं।

कभी चीटीयों की कतारों को घंटों यूं ही निहारूं।

चांद को देख, कुदरत की शेखी बखारूं।

बस एक दिन के सुकून की खातिर

ना करू तेरे लम्हों को यूं ही बड़ा।

कर लू कुछ मन की भी,

दिखूं चाहे भला या बुरा।

ज़िंदगी फुर्सत तो दे ज़रा।। क्यों इतना उलझा रखा है तूने 
ज़िंदगी, फ़ुर्सत तो दे ज़रा

#फ़ुर्सत #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कि, कभी तारों की ओढ़नी ओढ़े रात को निहार लूं।

कभी शाम को उन पेड़ों पर

पंछियों के गप्प शप्प सुन लूं।

कभी चीटीयों की कतारों को घंटों यूं ही निहारूं।

चांद को देख, कुदरत की शेखी बखारूं।

बस एक दिन के सुकून की खातिर

ना करू तेरे लम्हों को यूं ही बड़ा।

कर लू कुछ मन की भी,

दिखूं चाहे भला या बुरा।

ज़िंदगी फुर्सत तो दे ज़रा।। क्यों इतना उलझा रखा है तूने 
ज़िंदगी, फ़ुर्सत तो दे ज़रा

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ayushpandey9940

ayush pandey

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