कितने प्राणों का शमन है आसमानी ये गगन है है सुनहरी कोई कारा या यही मुक्ति के क्षण हैं छल रहा है राग मन को या कोई अनुराग पन है सच है या कोई छलावा या सपन के कण सृजन है हो गई है नींद दुस्तर है भरम याकि लगन है स्वप्न कोई ना चुरा ले जागता ये प्रहरी मन है प्रेम का सूरज अचल है पृथ्वी सा चलता ये मन है है नहीं विश्राम जग में सतत चलना ही चलन है पूजतें हैं जो उजाले जिसने नहीं हथियार पाले पुस्तकों के सार से जिसने किए निज हृद हिमालय साधना के साधन शिखर को बार-बार हिय से नमन है वसुधा में चेतन प्रकाश अर्पित तुम्हें ये प्राणप्रण है #toyou #theupsanddowns #frozendreams #yqscreams #thelightoflove #themartyrs #yqsun