हम आसमां से नज़रें मिलाएं क्यूं न, निशां क़दमों के जमीं पर बनाएं क्यूं न ...!🦋 इन छिटपुट बूंदों से धूल जाए,ऐसा जमीर थोड़े ही है .....! बिखर जाए जो टूट कर , शीशे का ख़्वाब थोड़े ही है...!! अपनी रूठी हंसी को हम मनाएँ क्यूं न , इन जख्मों पर मरहम लगाएं क्यूं न ...!🦋 महज़ अंगुल से नाप लो तुम , ऐसे ब्रह्मांड थोड़े ही हैं ....! हर पर्दे पर उतर जाएं , ऐसे किरदार थोड़े ही हैं....!!🦋 उन ख़ामोशियों के दर्द को हम उठाएँ क्यूं न , बंद रूह के दरवाज़े खटखटाएं क्यूं न ...!🦋 हर बार जला के राख कर दो ,काग़ज़ी पत्ते थोड़े ही हैं ....! हर गुनाह की माफ़ी हो, ख़ुदा का दरबार थोड़े ही है ....!!🦋 इस शिकन को खुद ही मिटाएं क्यूं न , टूटी लकीरें जोड़कर ख़ुद को हम बनाएं क्यूं न ...!!-Anjali Rai🦋 (शेरनी...!❤️) खामोश हूं ज़रूर पर ख़ामोश नहीं हूं मै ....! शून्य में जरूर हूं पर शून्य नहीं हूं मै........!!✍️ -Anjali Rai angel❤️ .................🦋............. #लवयूज़िन्दगी #yqinspiration