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पानी रे पानी आज बदला पानी ने अपना रंग है दिखाया क

पानी रे पानी

आज बदला पानी ने अपना रंग है
दिखाया कुदरत ने अपना नया ढंग है
छेड़ी जब से कुदरत की दुखती नस
आज उसने भी किया हमको दंग है
पिघल रहे ग्लेशियर बदल रहा मौसम 
आ रही बाढ़ कर रही मानवता पर वार
बढ़ते तापमान ने पानी का क्रोध बढ़ाया
अपना बदल के रूप उसने अपना जलवा दिखाया
बेमौसम बरसात ने सारा चक्र गड़बड़ाया
हर तरफ पानी के इस रूप ने तांडव मचाया
सोया इंसान अभी जागा नही है
कुदरत का वो इशारा अभी समझा नही है
न बदला इंसान ने अपना स्वभाव छेड़छाड़ का
तो निश्चित है कुदरत के जलजला का आना
और पानी के बदले रूप से मानवता  का खत्म हो जाना
जब से पानी ने अपना रंग बदला है
कुदरत ने कहर बरपाने का ढंग बदला है

©aditi jain aditi jain
  #पानी #अंदाज  पुष्प"  shraddha.meera  Rajat bhardwaj Naveen Chauhan Advocate"अब्र"