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वो सितमग़र सितम ऐसा भी ढाते हैं नज़र मिलाते नहीं सिर

वो सितमग़र सितम ऐसा भी ढाते हैं नज़र मिलाते नहीं सिर्फ़ चुराते हैं,
आग लगती है दिल की बसती में, छेड़ते एहसासों को पास भी नहीं आते हैं।— % & ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
वो सितमग़र सितम ऐसा भी ढाते हैं नज़र मिलाते नहीं सिर्फ़ चुराते हैं,
आग लगती है दिल की बसती में, छेड़ते एहसासों को पास भी नहीं आते हैं।— % & ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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