लव लय विलक्षण स्पर्श धरती को विलय अम्बर करे, निर्झर दृगों का दर्श कंचन प्रकृति तन चन्दन मले । शयमान शासक पुरुष श्रष्टा सीप सम मोती तरे, आह्वान वैदेही किरण कण-कण रमे उर बस जरे । लव लय विलक्षण स्पर्श धरती को विलय अम्बर करे, निर्झर दृगों का दर्श कंचन प्रकृति तन चन्दन मले । शयमान शासक पुरुष श्रष्टा सीप सम मोती तरे, आह्वान वैदेही किरण कण-कण रमे उर बस जरे ।