एक शाम फिर मिले वैसी,हम मिला करते थे जहां होगे तड़पते तुम भी वहां, जैसे अब हम मरते हैं यहां। अब कहां रहा हूं मैं पूरा,ना जाने कितनी बाकी है तू नींदों में मिलना भी मुमकिन अब तुझसे नहीं है क्यों। जाते जाते जाना तेरी आंखें थीं क्या कह गईं तेरी आंखों के सहारे ही मुझमें सांसें यह रह गईं। तू आ भी जा अब यादों की तरह कि मैं अधूरा रह गया हूं तेरे वादों की तरह। Long form written with love❣️ #yqbaba #yqquotes #phalak_writes #morningthoughts #writersofinstagram #wordporn #hindipoetry #shayari