कभी कहे अपना कभी बेगाना यह बातें कुछ समझ ना आती ना है दोस्त ना ही है दुश्मन फिर भी बातें आती जाती सच कहें या सच है छुपाते बुद्धि मेरी चकमा खाती रिश्ता ना रखकर रिश्ता निभाते यही पहेली सुलझ ना पाती ©Anita Mishra #ujala