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किसका लहूं था, कौन मरा, ना जाना कभी हत्यारों ने। श

किसका लहूं था, कौन मरा,
ना जाना कभी हत्यारों ने।
शहादत पर क्यों मौन छा गया,
सत्ता के गलियारों में।।

लहूं मे पानी जिनके भरे पड़े, 
दरबार यहां कुछ गद्दारों से। 
शय पर जिनकी शेर ढा दिए,
चंद कुत्तों ने हथियारों से।।

घाटी से लेकर दिल्ली तक,
है गूंज उठी ललकारों से। 
अब के ऐसे दफना दो इनको, 
फिर निकल ना पाए ग़ारो सो।  #पुलवामा #पुलवामा_शहीदो_को_नमन
#शहादत #शहीद
किसका लहूं था, कौन मरा,
ना जाना कभी हत्यारों ने।
शहादत पर क्यों मौन छा गया,
सत्ता के गलियारों में।।

लहूं मे पानी जिनके भरे पड़े, 
दरबार यहां कुछ गद्दारों से। 
शय पर जिनकी शेर ढा दिए,
चंद कुत्तों ने हथियारों से।।

घाटी से लेकर दिल्ली तक,
है गूंज उठी ललकारों से। 
अब के ऐसे दफना दो इनको, 
फिर निकल ना पाए ग़ारो सो।  #पुलवामा #पुलवामा_शहीदो_को_नमन
#शहादत #शहीद