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नजरे दीदार को तरसती है तो क्या हुआ आज भी तेरा चेहर

नजरे दीदार को तरसती है तो क्या हुआ
आज भी तेरा चेहरा निगाहो मे ,
छुपा रक्खा है मैने,,
वो मुझे पराया समझती है तो क्या हुआ
आज भी गुलाब किताबो मे,
 दबा रक्खा है मैने Er Puspak Raj RAAZ DHEERAJ SHARMA✍️✍️❤️ my heartbeat
नजरे दीदार को तरसती है तो क्या हुआ
आज भी तेरा चेहरा निगाहो मे ,
छुपा रक्खा है मैने,,
वो मुझे पराया समझती है तो क्या हुआ
आज भी गुलाब किताबो मे,
 दबा रक्खा है मैने Er Puspak Raj RAAZ DHEERAJ SHARMA✍️✍️❤️ my heartbeat