तरस गयी है नज़रें, तेरी एक झलक को। लफ़्ज़ों में बया न कर सकूँ, अपनी इस तड़प को। मुद्दतों से गुज़र रही है ये ज़िन्दगी इस आस मे, फिर कब देखेंगी तेरी नज़र, झुकती मेरी पलक को। .....