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तरस गयी है नज़रें, तेरी एक झलक को। लफ़्ज़ों में बया न

तरस गयी है नज़रें, तेरी एक झलक को।
लफ़्ज़ों में बया न कर सकूँ, अपनी इस तड़प को।
मुद्दतों से गुज़र रही है ये ज़िन्दगी इस आस मे,
फिर कब देखेंगी तेरी नज़र, झुकती मेरी पलक को। .....
तरस गयी है नज़रें, तेरी एक झलक को।
लफ़्ज़ों में बया न कर सकूँ, अपनी इस तड़प को।
मुद्दतों से गुज़र रही है ये ज़िन्दगी इस आस मे,
फिर कब देखेंगी तेरी नज़र, झुकती मेरी पलक को। .....
poojapal2436

Pooja pal

New Creator

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