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रेल की पटरियों जैसे हम और तुम, हैं भले दूर पर, साथ

रेल की पटरियों जैसे हम और तुम,
हैं भले दूर पर, साथ चलना हमें।
प्रेम के होम में सूखी समिधा-सा मैं,
और घृत जैसी तुम, साथ जलना हमें।

:- गणेश शर्मा 'विद्यार्थी'

©गणेश #पंक्तियाँ
रेल की पटरियों जैसे हम और तुम,
हैं भले दूर पर, साथ चलना हमें।
प्रेम के होम में सूखी समिधा-सा मैं,
और घृत जैसी तुम, साथ जलना हमें।

:- गणेश शर्मा 'विद्यार्थी'

©गणेश #पंक्तियाँ