प्रभु की भक्ति में है सम्पूर्ण शक्ति हे सर्वव्यापक प्रभु, आप सम्पूर्ण सृष्टि का आधार हैं, क्योंकि आपकी महिमा, तो सारे जग में अपरमपार है । तीनों लोकों के स्वामी, हे परम परमेश्वर, कविराज 'देवेंद्र' का आपको सादर नमस्कार है । साधना में आपकी एकत्र है, ये सम्पूर्ण संसार, क्योंकि आप ही तो, हम सबके पालनहार हैं । सृष्टि का केंद्र बिन्दु भी आप हैं, और आपका ही भजन हृदयोद्गार है । हे प्रभु हम सब तो, आपकी ही अद्भुत कृति हैं, आपकी ही आत्मा तो सदा, हम सब में बसी है । आपके चरण कमलों में तो मैं, और सारा संसार नतमस्तक है, क्योंकि आपका अपार प्रेम ही तो, हमारे जन्मो- जन्म का उद्धार है । सत्य, सदकर्म और परिश्रम ही, एक अच्छे मनुष्य के गुण हैं, और इनका पालन करना ही, हमारा परम कर्तव्य है । विद्या ग्रहण करना, हम सबका मानव अधिकार है, और स्वयं को जान लेना भी, अत्याधिक आवश्यक है । मोह माया से दूर रहना, मनुष्य का अपना कर्तव्य है, और सही गलत की पहचान रखना, बहुत ही जरूरी है । जो आत्मनिर्भर हैं और जीवन जी रहे हैं खुशी से, वही तो आज सक्षम हैं और उन्हीं का नामोनिशान है । मुझपर कृपा रहे सदा, हे परम परमेश्वर आपकी, सभी देवों के देव से, बस यही मेरी पुकार है । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # प्रभु की भक्ति में है सम्पूर्ण शक्ति