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मृगतृष्णा nazm # जागती निग़ाहों में ख़्व |

मृगतृष्णा
nazm #NojotoQuote जागती निग़ाहों  में ख़्वाब मचल  जाते होंगे
अक्सर रोटी के संग हाथ भी जल जाते होंगे

बेवज़ह के मेरे ख़्याल रुसवा कर जाते होंगे
दुपट्टा भूलकर, मुझे ओढ़ निकल जाते होंगे

दरीचे चीख कर मुझे, आवाज़ लगाते होंगे
जब गली में मेरा नामोनिशां नही पाते होंगे
मृगतृष्णा
nazm #NojotoQuote जागती निग़ाहों  में ख़्वाब मचल  जाते होंगे
अक्सर रोटी के संग हाथ भी जल जाते होंगे

बेवज़ह के मेरे ख़्याल रुसवा कर जाते होंगे
दुपट्टा भूलकर, मुझे ओढ़ निकल जाते होंगे

दरीचे चीख कर मुझे, आवाज़ लगाते होंगे
जब गली में मेरा नामोनिशां नही पाते होंगे

जागती निग़ाहों में ख़्वाब मचल जाते होंगे अक्सर रोटी के संग हाथ भी जल जाते होंगे बेवज़ह के मेरे ख़्याल रुसवा कर जाते होंगे दुपट्टा भूलकर, मुझे ओढ़ निकल जाते होंगे दरीचे चीख कर मुझे, आवाज़ लगाते होंगे जब गली में मेरा नामोनिशां नही पाते होंगे