मेरी कश्ती पुरानी थी,मगर तूफान बहुत जोर था हर तरफ देखा तो,सिर्फ मतलब का ही शोर था जाते कहां तुमसे,हम जुदा होकर तेरे सिवा ना मेरा, किनारा कोई और था, चले गए वो लोग अब, हमको तन्हा छोड़ कर जिन पर इस नादान दिल को,बहुत ही गुरुर था मंजिल थी दूर मगर, चलना भी जरूर था हालत ने तोड़ा मगर, कहां रुकना कबूल था मेरी सोहरतों को देख कर, अब लोग जलने लगे है मेरे संघर्षो में मेरा सिर्फ,,एक हौसला ही संग था छोड़ दिया था हाथों से, उसने डोर को अपने जैसे मैं इंसान ना हो कर,, कोई कटी पतंग था ©##अनूप अंबर #कटीपतंग